जन्म कुंडली मे लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अस्टम और द्वादश भाव मे अगर मंगल स्थित हो तो मांगलिक योग बनता है। परंतु जब मंगल सप्तम्, अष्टम और द्वादश भाव में हो तब वह मांगलिक दोष कहलाता है।
◾️प्रथम भाव मे मंगल होने से जातक साहसी ,स्फुर्तिवान, तेजस्वी, निडर, उग्र स्वभाव और नेतृत्व करने के गुण होते हैं। मांगलिक जातक हर परिस्थिति मे साहस से कार्य करते हैं। मांगलिक जातक बहुत महत्वाकांक्षी और परिश्रमी होते हैं इनको काबू करना मुश्किल होता है।
◾️चतुर्थ भाव में अगर मंगल स्थित हो तो जातक को वाहन का सुख और जमीन का सुख मिलता है।
◾️अगर मंगल सप्तम् भाव में हो तो दाम्पत्य जीवन में कस्ट होता हैं ।
◾️अगर मंगल अस्टम भाव मे हो तो स्वयं को पीड़ा होती है । मंगल द्वादश भाव मे शयन सुख और अवैध संबंध को दर्शाता है ।
मांगलिक दोष के निवारण -
# मंगल के बीज मंत्रों का जाप। # महामृत्युंजय मंत्र का जाप।
# मंगलवार का व्रत करें।
# मंगल चंडिका मंत्र ५१ दिन तक लगातार करें।
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