जन्म पत्रिका मे गुरु और राहु एक साथ एक ही राशि में स्थित हो तब गुरु चांडाल योग बनता है। गुरु ज्ञान के कारक हैं ,वहीं राहु अज्ञानता का कारक है गुरु सकरात्मक ऊर्जा है ,वहीं राहु नकारात्मक ऊर्जा, दोनों विपरीत ऊर्जा है जो एक साथ स्थित होने से गुरु की सकरात्मक ऊर्जा कम होने लगती है और राहु की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है । राहु गुरु के साथ होने से बलवान हो जाता है और जातक द्विस्वभाव का हो जाता है। गुरु चांडाल योग के जातक स्वभाव से बुद्धिमान,स्वार्थी और अत्यंत चतुर प्रकृति के होते हैं। इन जातकों मे धैर्य की कमी होती है। ये जातक कभी संतुष्ट नहीं होते इनकी इच्छा अनंत होती है। ये जातक जुगाड़ू प्रकृति के होते हैं। प्रथम भाव - मे गुरु चंडाल योग होने से जातक चालाकी से काम निकालने वाले और जुगाड़ू प्रकृति के होते हैं । द्वितीय भाव- मे योग होने से जातक का घर- परिवार से जुड़ाव अधिक होता है और धन मे उतार- चढ़ाव रहता है। तृतीय भाव- में यह योग बनने से जातक हाजिर जवाबी होता हैं और मीडिया मे अच्छा कार्य करता है। चतुर्थ भाव - मे यह योग होने से ...